इसके जवाब में कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, बेहतर होगा कि पीएम हमारे भविष्य के बारे में सोचना बंद कर दें। क्योंकि जब बीजेपी कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश हार गई तब सब ज्ञान गायब हो गया था। कांग्रेस महासचिव और सांसद केसी वेणुगोपाल ने भी इस टिप्पणी को लेकर पीएम मोदी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि हर चुनाव अलग होता है। जब कांग्रेस ने कर्नाटक जीता, तब यह बात (प्रधानमंत्री द्वारा) नहीं कही गई। जब कांग्रेस ने तेलंगाना जीता तब ये बात नहीं थी। बेशक, हम उन लोगों को बधाई दे रहे हैं जिन्होंने चुनाव जीता है। सच कहूं तब मध्यप्रदेश में क्या हुआ, हम समझ ही नहीं पा रहे हैं।
चौधरी ने कहा, कुछ दिन पहले कर्नाटक-हिमाचल प्रदेश में चुनाव हुए थे उस समय मोदी जी का ज्ञान कहां था?... वे समय-समय पर अपने ज्ञान निकालते हैं... भाजपा के पास प्रधानमंत्री के अलावा और कोई चेहरा नहीं है, तब यह भाजपा, आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद की नहीं मोदी जी की जीत है, उन्हें यह मान लेना चाहिए। समाजवादी पार्टी सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि जो जीता हुआ होता वह कुछ भी कह सकते हैं और जो हार जाते हैं उन पर सवाल उठाए जाते हैं... इनकी(बीजेपी) पॉलिसी है कि यह रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं, राजीव गांधी के जमाने में 412 में (कांग्रेस) जीते थे, उस रिकॉर्ड को इन्हें(बीजेपी) तोड़ना है।
दरअसल पीएम मोदी ने सोमवार को विपक्षी दलों से आग्रह किया कि संसद के शीतकालीन सत्र में वे विधानसभा चुनावों में मिली पराजय का ‘गुस्सा’ ना निकालें बल्कि उससे सीख लेकर पिछले नौ सालों की नकारात्मकता को पीछे छोड़ें और सकारात्मक रूख के साथ आगे बढ़ें, तभी उनके प्रति लोगों का नजरिया बदल सकता है।
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